
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसानों को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन देने के तमाम वादे किए गए। लेकिन क्या सिर्फ योजनाएं ही काफी हैं या ज़मीनी बदलाव भी आया है?
यह लेख सिर्फ आंकड़ों की गिनती नहीं, बल्कि उन प्रयासों की कहानी है जो एक किसान की आँखों में भरोसे की रौशनी लाने की कोशिश करते हैं।
स्टूडेंट्स की ऑनलाइन हाजिरी और दास्तानों का तड़का!
1. पीएम-किसान योजना: सीधे बैंक में भरोसे की फसल
2019 में शुरू हुई PM-KISAN योजना के तहत हर पात्र किसान को ₹6000 सालाना तीन किस्तों में दिए जाते हैं।
अब तक 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को लाभ मिला है और सरकार ने 2.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक वितरित किए हैं।
2. MSP पर भरोसा बढ़ा, पर बहस अभी जारी है
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद बढ़ाई है — खासकर गेहूं, धान और दलहन पर। MSP पर खरीदारी में 2x से ज्यादा की वृद्धि हुई है, लेकिन छोटे किसानों को अब भी मंडियों और दलालों की पकड़ से पूरी मुक्ति नहीं मिली है।
3. एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: गांव में भी हो सकता है कोल्ड स्टोरेज!
2020 में शुरू हुआ Agri Infra Fund अब तक ₹50,000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंज़ूरी दे चुका है। इससे गांवों में कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस और प्रोसेसिंग यूनिट्स बनने लगे हैं।
4. जैविक खेती और तकनीक का मेल
ई-नाम (e-NAM) से किसानों को अब 1000+ मंडियों में डिजिटल व्यापार की सुविधा है।
ड्रोन टेक्नोलॉजी, सॉयल हेल्थ कार्ड और जैविक खेती के लिए सब्सिडी ने तकनीक को आम किसान की पहुंच में लाया है।
5. कृषि कानून: एक बड़ा सपना जो अधूरा रह गया
2020 में आए तीन कृषि कानूनों को लेकर देशभर में बवाल हुआ।
सरकार ने कानून वापस लिए, लेकिन इसके पीछे का इरादा – किसानों को बिचौलियों से आज़ादी – आज भी सरकार की नीति का हिस्सा है।
6. बीमा और राहत योजनाएं
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत करोड़ों किसानों को सूखा, बाढ़ जैसी आपदाओं में मुआवज़ा मिला।
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2016 से अब तक ₹1.4 लाख करोड़ से ज्यादा क्लेम दिए गए।
7. बजट और निवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
2013-14 में कृषि बजट था ₹21,000 करोड़।
2023-24 तक यह बढ़कर ₹1.25 लाख करोड़ से भी ऊपर चला गया।
“यह सिर्फ आंकड़े नहीं, ये किसान के आत्मविश्वास की ऊँचाई है”
क्या किसान खुश हैं?
सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं, टेक्नोलॉजी लाई, निवेश बढ़ाया — लेकिन चुनौतियां अब भी मौजूद हैं।
कर्ज़, मौसम, बाजार — तीनों अब भी किसान के सिर पर लटकती तलवार हैं।
पर उम्मीद ये है कि ये सरकार “किसान को केवल वोट बैंक नहीं, देश का असली भाग्यविधाता” मानती है।अब किसान वोट देने खेत में नहीं, सरकार को आंकने ऐप पर जाता है। जहां डेटा है, वहां उम्मीद है… और जहां MSP है, वहां बहस है!”